हीरामंडी में कई गलतियां कर गए संजय लीला भंसाली, पाकिस्तानी डॉक्टर ने बताई असलियत
नेटफ्लिक्स इंडिया पर संजय लीला भंसाली का पहला शो 'हीरामंडी:द डायमंड बाजार' को मिले-जुले रिव्यू मिल रहे हैं. अब कुछ इंटरनेट यूजर्स ने पीरियड ड्रामा में हिस्टॉरिकल गलतियां होने का दावा किया है. इसमें आजादी से पहले के लाहौर इलाके को जिस तरह दिखाया गया है उसकी टाइम लाइन में कुछ गलतियां नजर आती हैं. लाहौर के एक डॉक्टर हम्द नवाज ने एक्स पर एक लिखा है. इसमें वे डिटेल से बता रहे हैं कि कैसे भंसाली का शो हीरामंडी असल इलाके से बिल्कुल अलग है जिसके बारे में उन्होंने पाकिस्तान का नागरिक होने के नाते पढ़ा और जाना है. उन्होंने लिखा, “अभी हीरामंडी देखी. इसमें हीरमंडी के अलावा सब कुछ मिला. मेरा मतलब है या तो आप अपनी कहानी 1940 के लाहौर में सेट नहीं करते या अगर आप ऐसा करते हैं तो आप इसे आगरा के लैंडस्केप, दिल्ली की उर्दू, लखनवी पोशाक और 1840 के माहौल में सेट नहीं करते हैं. मेरे अंदर का लाहौरी इसे अन देखा नहीं कर सकता.
“हीरामंडी टक्साली गेट से लेकर आज के फजाय काय पेये या चीत राम रोड तक फैली हुई है. आप यहां अच्छे से घूम कर चप्पा चप्पा देख लें लेकिन आपको ऐसा एक भी आंगन नहीं मिलेगा. इतनी बड़ी चीज तो दूर की बात है. वहां मुश्किल से 5/10 माला कोठे/मकान थे. दो ठाठ बाठ फिल्म में दिखाया गया था वह असल में है ही नहीं.
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 1940 के दशक में औसत लाहौरी पंजाबी में बातचीत करते थे उर्दू में नहीं जैसा कि भंसाली ने अपनी सीरीज में दिखाया है. उन्होंने यहां तक कहा कि अमीर खुसरो का 'सकल बन' उस युग में गाया जाने वाला गीत नहीं था, “सकल बन लाहौरी गाने वाली चीज़ नहीं थी, चैती बौदी वे तबीबा थी. यह 1940 का दशक था नूरजहां की पंजाबी मास्टरपीस थीं - सिनेमा ने हीरामंडी के कई गायकों को मंच दिया था और उनमें से कोई भी उस सूफियाना कस्टर्ड जैसा नहीं लग रहा था जिसे हम यहां देख रहे हैं.”
हम्द ने यह भी तर्क दिया कि उस युग और उस इलाके की तवायफों ने कभी भी ऐसे आकर्षक और शानदार कपड़े नहीं पहने जो भंसाली ने उन्हें पहनाई. उन्होंने लिखा, "भंसाली की खोज निश्चित रूप से ब्राइडल कॉउचर वॉक से आगे बढ़नी चाहिए थी. वैश्या के पास कभी भी इन गहनों को खरीदने की दूर-दूर तक फाइनैंशियल सिक्योरिटी नहीं थी. ये ब्लाउज? साड़ी? घाघरा? लहंगा? शायद कोई पंजाबी पोशाक? चलो सब्यसाची के पास चलते हैं.
"यह ग्लैमर की राह नहीं थी बल्कि शोषण, गुलामी और गंदी गरीबी थी. जो लोग वहां रहते थे कम से कम वे वैसे ही देखे जाने के हकदार हैं जैसे वे थे." उन्होंने अंत में लिखा, "मैंने वह जगह देखी है वहां के लोगों से बात की है. वहां के अस्पतालों में काम किया है और मुझे लगता है कि यह कहानी निश्चित रूप से बताई जानी चाहिए. लेकिन केवल तभी जब कोई वास्तव में उस क्षेत्र में आकर दौरा करे जिसे वह जीवंत कर रहा है."
कुछ दूसरे लोगों ने सोनाक्षी सिन्हा के किरदार फरीदन का उर्दू अखबार पढ़ते हुए एक स्क्रीनशॉट शेयर किया. इसमें तारीख के साथ दिख रहा है कि यह 2022 है. 1940 के दशक के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि पर आधारित हीरमंडी में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, संजीदा शेख, शर्मिन सहगल और ताहा शाह बदुशा सहित कई कलाकार शामिल हैं.
from NDTV India - Latest https://ift.tt/vUWhYMQ
Post a Comment