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जानिए कैसा होता है कुंडली के प्रथम भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव

Kundali 2023 : वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में 12 भाव या घर होते हैं. हर भाव में एक ग्रह होता है. इनमें से कुछ शुभ फलदायी होते हैं, तो कुछ अशुभ फल प्रदान करते हैं. कुंडली के किस भाव में कौन सा ग्रह है या किन ग्रहों के साथ उसकी युति है, इससे आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है. यहां हम बात करेंगे कुंडली के पहले यानी लग्न भाव की.कुंडली का पहला भाव काफी प्रमुख होता है. इससे आपके व्यक्तित्व के साथ ही आपके जीवन के कई दूसरे पहलुओं की जानकारी मिलती है.

अगर पहले भाव की बात करें, तो इसमें मेष राशि का शासन है और उस भाव के स्वामी मंगल हैं. अब अगर प्रथम भाव में ग्रहों की बात करें तो गुरु सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध के लिए यह भाव सर्वोत्तम माना जाता है. तो आइए जानते हैं कि कुंडली के प्रथम भाव में अगर शुभ ग्रह हों, तो उसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है.

प्रथम भाव में सूर्य 

सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है. ये काफी मजबूत ग्रह माने जाते हैं. अगर आपकी कुंडली के पहले भाव में सूर्य मौजूद हैं, तो वे आपका जीवन काफी सशक्त रहेगा. इच्छाशक्ति भी काफी मजबूत होगी. इतना ही नहीं आपका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा और आत्मविश्वास भी काफी ऊंचा रहेगा. अगर सूर्य कुंडली में सकारात्मक हों, तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है. उसमें अधिकार और शक्ति की जबरदस्त इच्छा हो सकती है. ये लोग नेता प्रवृत्ति के होते हैं. ये आत्मविश्वास से भरे होते हैं और अन्य की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान होते हैं. सूर्य अगर कुंडली के प्रथम भाव में हैं, संतान उच्च शिक्षा प्राप्त करती है और उनका नाम होता है. 

प्रथम भाव में चंद्रमा 

चंद्रमा का प्रथम भाव में होना अच्छा माना जाता है. चंद्रमा आपके मन, सुख-शांति, धन और माता का कारक होता है. अगर चंद्रमा कुंडली के पहले भाव में हैं, तो जीवन सुखद होता है. व्यक्ति का अपनी माता के प्रति काफी झुकाव देखने को मिलेगा. व्यक्ति सुखी-संपन्न होने के साथ ही स्वभाव से मिलनसार होते हैं. हालांकि, उसमें आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है. पहले भाव में चंद्रमा हो तो व्यक्ति सुखी और ऐश्वर्यवान होता है. हालांकि, ऐसे लोगों को थोड़ी सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है. आपको न तो चंद्रमा से जुड़ी वस्तु का दान लेना चाहिए और न ही दान देना चाहिए.

प्रथम भाव में गुरु 

गुरु यानी बृहस्पति महत्वपूर्ण ग्रह हैं. इन्हें देवगुरु कहा जाता है. गुरु का प्रथम भाव में होना भी काफी अच्छा माना जाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति सकारात्मक स्वभाव वाला होगा. उसमें दया होने के साथ ही उसका दृष्टिकोण भी सकारात्मक और आशावादी होगा. अगर कुंडली में गुरु मजबूत स्थिति में हों, तो व्यक्ति जबरदस्त सफलता हासिल करता है. व्यक्ति को कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है. इसी तरह पहले भाव में गुरु के प्रभाव से व्यक्ति  विद्वान होने के साथ ही धार्मिक प्रवृत्ति का भी होता है. ऊंचा पद और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. 

बुध अगर प्रथम भाव में हों

बुध बुद्धि और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में कुंडली के प्रथम भाव में बुध की स्थिति से व्यक्ति की बौद्धिक शक्ति मजबूत होती है. व्यक्ति काफी जिज्ञासु स्वभाव का होगा. वे हमेशा खुश रहने वाले होते हैं. ये देखने में काफी आकर्षक और दीर्घायु भी होते हैं. इनमें सीखने का जबरदस्त गुण होता है, इसलिए किसी भी चीज को ये जल्द और आसानी से सीख लेते हैं. ये एक अच्छे वक्ता भी हो सकते हैं. इनकी ज्योतिष के साथ ही गणित और इंजीनियरिंग में दिलचस्पी हो सकती है. ऐसे लोगों को विदेश यात्रा का भी मौका मिलता है.

कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र 

शुक्र को प्रेम और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति काफी आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है. हालांकि शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति काफी आलसी और कामुक होता है. ये लोग काफी तेजस्वी होंगे. व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी होने के साथ ही दीर्घायु भी होगा. ये गाने-बजाने और चित्रकारी के भी शौकीन होते हैं. शुक्र के प्रभाव से ये काफी पराक्रमी होंगे. वैसे इनकी वाणी अच्छी होते है. ये बेहतर उपदेशक भी होते हैं. शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति अनेक कलाओं में निपुण, विद्वान और चतुर होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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