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Development of modern press in British India

 Development of modern press in British India.


The development of the modern press in British India played a crucial role in the country's political, social, and cultural transformation during the colonial period. The arrival of the printing press in India in the early 18th century facilitated the spread of knowledge and the dissemination of ideas, leading to the growth of a vibrant public sphere.

The first newspaper in India, called the Bengal Gazette, was launched in Calcutta (now Kolkata) in 1780 by James Augustus Hickey. The newspaper mainly covered local events and advertisements, but it also published critical commentary on the British East India Company's policies, which often led to conflicts with the colonial authorities.

In the 19th century, the British government recognized the importance of the press as a tool for disseminating information and shaping public opinion, and it began to promote the establishment of newspapers in different parts of the country. Many Indian intellectuals and reformers also started publishing their own newspapers and journals to spread their ideas and mobilize public opinion.

Some of the most influential newspapers of the time included The Hindu, founded in 1878 by G. Subramania Iyer, which became the voice of Indian nationalism, and The Indian Mirror, founded by Keshub Chunder Sen in 1862, which championed social and religious reform.

The rise of the Indian press also coincided with the emergence of a modern Indian middle class, which used newspapers as a means of expressing its aspirations and concerns. The press played a key role in shaping the nationalist movement and the struggle for India's independence. Many of the leaders of the independence movement, such as Mahatma Gandhi, Jawaharlal Nehru, and Rabindranath Tagore, were themselves journalists and writers.

In conclusion, the development of the modern press in British India was a significant milestone in the country's history, which paved the way for the growth of a vibrant public sphere and the emergence of a modern Indian middle class. The press also played a crucial role in shaping public opinion and political movements, making it an important tool for social and political change


ब्रिटिश भारत में आधुनिक प्रेस का विकास।

ब्रिटिश भारत में आधुनिक प्रेस के विकास ने औपनिवेशिक काल के दौरान देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में प्रिंटिंग प्रेस के आगमन ने ज्ञान के प्रसार और विचारों के प्रसार की सुविधा प्रदान की, जिससे एक जीवंत सार्वजनिक क्षेत्र का विकास हुआ। भारत में पहला समाचार पत्र, जिसे बंगाल गजट कहा जाता है, जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा 1780 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में लॉन्च किया गया था। अखबार ने मुख्य रूप से स्थानीय घटनाओं और विज्ञापनों को कवर किया, लेकिन इसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों पर आलोचनात्मक टिप्पणी भी प्रकाशित की, जिसके कारण अक्सर औपनिवेशिक अधिकारियों के साथ संघर्ष हुआ। 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश सरकार ने सूचना के प्रसार और जनमत को आकार देने के लिए एक उपकरण के रूप में प्रेस के महत्व को पहचाना और इसने देश के विभिन्न हिस्सों में समाचार पत्रों की स्थापना को बढ़ावा देना शुरू किया। कई भारतीय बुद्धिजीवियों और सुधारकों ने भी अपने विचारों को फैलाने और जनमत जुटाने के लिए अपने स्वयं के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को प्रकाशित करना शुरू कर दिया। उस समय के कुछ सबसे प्रभावशाली समाचार पत्रों में जी. सुब्रमण्यम अय्यर द्वारा 1878 में स्थापित द हिंदू शामिल था, जो भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज बन गया, और 1862 में केशब चंदर सेन द्वारा स्थापित द इंडियन मिरर, जिसने सामाजिक और धार्मिक सुधारों का समर्थन किया। भारतीय प्रेस का उदय एक आधुनिक भारतीय मध्यम वर्ग के उदय के साथ हुआ, जिसने समाचार पत्रों को अपनी आकांक्षाओं और चिंताओं को व्यक्त करने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया। प्रेस ने राष्ट्रवादी आंदोलन और भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेता, जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और रवींद्रनाथ टैगोर स्वयं पत्रकार और लेखक थे। अंत में, ब्रिटिश भारत में आधुनिक प्रेस का विकास देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसने एक जीवंत सार्वजनिक क्षेत्र के विकास और एक आधुनिक भारतीय मध्यम वर्ग के उदय का मार्ग प्रशस्त किया। प्रेस ने जनमत और राजनीतिक आंदोलनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसे सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना दिया


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